Gaza: गाजा में इस्राइल के हमलों और खाद्य आपूर्ति पर लगाए प्रतिबंधों ने हालात बिगाड़ दिए हैं। खाद्य आपूर्ति बंद होने से गाजा पट्टी में बच्चों में कुपोषण की दर दोगुनी हो गई है। वहीं गाजा में संयुक्त राष्ट्र की दूत ने दुनियाभर के देशों से नरसंहार को रोकने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया है। उधर, गाजा में हुए नए इस्राइली हमलों में महिलाओं और बच्चों समेत 90 से ज्यादा फलस्तीनी मारे गए हैं।
मार्च में इस्राइल के हमले फिर से शुरू होने और गाजा में सभी खाद्य और अन्य आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने के बाद से 20 लाख से ज्यादा फलस्तीनी भुखमरी से जूझ रहे हैं। यूएनआरडब्ल्यूए ने कहा कि उसने जून में अपने क्लीनिकों में पांच साल से कम उम्र के लगभग 16,000 बच्चों की जांच की। इसमें पाया कि उनमें से 10.2 प्रतिशत गंभीर रूप से कुपोषित थे। जबकि मार्च में 15,000 बच्चों में से 5.5 प्रतिशत कुपोषित मिले। यूनिसेफ ने भी कहा कि कुपोषण के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इस सप्ताह उसके क्लीनिकों ने जून में बच्चों में कुपोषण के 5,870 मामले दर्ज किए, जो लगातार चौथे महीने की वृद्धि है और फ़रवरी में दर्ज लगभग 2,000 मामलों से दोगुने से भी ज्यादा है।
गाजा में शरणार्थी शिविर पर हुए एक हमले में फलस्तीनी विधायिका के 68 वर्षीय हमास सदस्य मोहम्मद फराज अल-घोल की मौत हो गई। जबकि एक पुरुष, एक महिला और उनके छह बच्चे भी मारे गए। शिफा अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि सोमवार शाम गाजा शहर के तेल अल-हवा जिले में एक घर पर हुए सबसे घातक हमलों में एक परिवार के 19 सदस्यों की मौत हो गई। मृतकों में आठ महिलाएं और छह बच्चे शामिल हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक दैनिक रिपोर्ट में कहा कि पिछले 24 घंटों में इस्राइली हमलों में मारे गए 93 लोगों के शव गाजा के अस्पतालों में लाए गए हैं। जबकि 278 लोग घायल भी हैं।
हर देश करे इस्राइल के साथ संबंधों की समीक्षा: अल्बानीज
गाजा में संयुक्त राष्ट्र की दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज ने कोलंबिया की राजधानी में 30 देशों के प्रतिनिधियों से बात की। कई प्रतिभागी देशों ने इस हिंसा को फलस्तीनियों के विरुद्ध नरसंहार बताया है। अल्बानीज़ ने कहा कि हर देश को तुरंत इस्राइल के साथ सभी संबंधों की समीक्षा करनी चाहिए और उन्हें निलंबित करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसका निजी क्षेत्र भी ऐसा ही करे। इस्राइली अर्थव्यवस्था इस कब्जे को बनाए रखने के लिए बनी है जो अब नरसंहार में बदल गया है।
सम्मेलन में देशों ने कहा है कि वे पिछले साल जारी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के उस फैसले का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें कहा गया था कि फलस्तीनी क्षेत्रों पर इस्राइल का कब्जा अवैध है। दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के प्रवक्ता क्रिसपिन फिरी ने कहा कि यह जरूरी है कि हम सार्थक तरीके से कानून के शासन के लिए खड़े हों। यह विचार कि अंतरराष्ट्रीय कानून केवल वैश्विक दक्षिण के देशों पर ही लागू किया जा सकता है, अब टिकाऊ नहीं रह गया है।