New Tehri: संघर्षों से निकले दिवाकर भट्ट को उत्तराखंड फील्ड मार्शल की उपाधि यूं ही नहीं मिली थी। उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी ने 1993 में श्रीनगर में हुए उत्तराखंड क्रांति दल के अधिवेशन में उनके तेवर, विचार और आंदोलन के प्रति समर्पण को देखते हुए उन्हें यह सम्मान दिया था। भट्ट के निधन के साथ उत्तराखंड राज्य आंदोलन ने अपना एक सबसे जुझारू सिपाही खो दिया।
दिवाकर भट्ट का राजनीतिक और आंदोलनकारी सफर संघर्षों से भरा था। 1965 में श्रीनगर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रताप सिंह नेगी के नेतृत्व में वह पहली बार उत्तराखंड आंदोलन से जुड़े थे। इसके बाद उनका जीवन लगातार राज्य निर्माण और पहाड़ की समस्याओं के समाधान को समर्पित रहा।

