नई दिल्ली. मोना सिंह एक वक्त पर टीवी का जाना-माना नाम रही हैं. एक्ट्रेस ने छोटे पर्दे पर जस्सी जैसी कोई नहीं से साल 2003 में अपने करियर की शुरुआत की थी और क्या ही शानदार शुरुआत की. जस्सी जैसी कोई नहीं रातों रात पर्दे पर हिट रहा और मोना सिंह इससे स्टार बन गई. दशकों लंबे करियर के दौरान मोना ने क्या हुआ तेरा वादा, कवच्छ, प्यार को हो जाने दो, मौका ए वारदात जैसे शोज और सीरियल्स में काम कर दर्शकों के बीच अपनी अमिट पहचान बनाई. एक्ट्रेस ने लीड रोल अदा करने के साथ रियालिटी शोज को होस्ट कर भी अपना टैलेंट साबित किया.
करीबन 2 दशक तक फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा रहने वाली मोना सिंह अब छोटे पर्दे को पूरी तरह अलविदा कह चुकी हैं. एक्ट्रेस इन दिनों फिल्मों और ओटीटी पर नजर आ रही हैं. आखिरी बार उन्हें आर्यन खान की डेब्यू सीरीज बैड्स ऑफ बॉलीवुड में देखा गया था. इससे पहले मोना सिंह कई फिल्मों में भी नजर आ चुकी हैं. उन्होंने लाल सिंह चड्ढा में आमिर खान की मां का किरदार अदा कर खूब वाहवाही बटोरी थी.
मोना सिंह ने टीवी छोड़ने के फैसले को बताया मुश्किल
हाल ही में वेब सीरीज थोडे़ दूर थोड़े पास में नजर आईं मोना सिंह ने टीवी इंडस्ट्री छोड़ने पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि ये फैसला मुश्किल था, लेकिन अब टीवी जगत में उनके लिए कुछ बचा नहीं है. वो लगभग सबकुछ कर चुकी हैं. इसके साथ ही मोना ने टीवी सीरियल्स में नजर आने वाले सितारों की पर्सनल लाइफ को लेकर भी चिंता व्यक्त की
वो बॉम्बे टाइम्स से बात करते हुए कहती हैं कि अब ओटीटी ही उनके लिए सबसे परफेक्ट ऑप्शन है. एक्ट्रेस बताती हैं, ‘तीन महीने एक वेब शो पर काम करना बिल्कुल परफेक्ट है. आपको ब्रेक मिलता है, आप फ्रेश होकर वापस आते हैं और नए किरदार में ढलने के लिए तैयार रहते हैं. ओटीटी मेरे लिए सबसे अच्छा है. वरना टीवी में टाइमलाइन बहुत क्रेजी होती है, खासकर जब आप लीड रोल निभा रहे हों. जब मैंने टीवी किया था, तब शो सोमवार से गुरुवार तक आते थे, लेकिन अब तो पूरे हफ्ते चलते हैं. ओह माय गॉड! मुझे हैरानी होती है कि क्या इन लोगों की कोई पर्सनल लाइफ भी है.’
मोना छोटे पर्दे को अलविदा कहने के अपने फैसले के बारे में आगे बताती हैं, मैंने टीवी को अलविदा कह दिया है, पूरी इज्जत के साथ. वहां मेरे लिए अब करने को ज्यादा कुछ नहीं बचा है. मुझे लगता है कि मैंने सब कुछ कर लिया है, डेली सोप्स, रियलिटी शोज और होस्टिंग. यह आगे बढ़ने के लिए सोच-समझकर लिया गया कदम था. यह बदलाव आसान नहीं था, लेकिन मैंने ये कदम उठाया.
वो बताती हैं कि फिल्मों के ऑफर आने में उन्हें समय लगा और उन्होंने आराम से तसल्ली से बैठकर अपने ऑफर्स के इंतजार किया. फिर उन्हें फिल्मों और ओटीटी के ऑफर्स मिलने लगे. वो कहती हैं, ‘इसमें वक्त लगा, लेकिन यह इंतजार सही साबित हुआ. मुझे मेरे मनचाहे रोल मिले. मैं फिल्में भी कर रही हूं. अगले साल मेरी तीन फिल्में आ रही हैं और मैं फिल्मों और ओटीटी को बैलेंस करके खुश हूं’.

