दिफू-असम के वेस्ट कार्बी आंगलोंग जिले में हुई हिंसा के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। हिंसा प्रभावित इलाकों में फिलहाल कोई नई घटना सामने नहीं आई है, लेकिन एहतियात के तौर पर भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। यह हिंसा कार्बी और बिहारी समुदायों के बीच हुई। विवाद की जड़ गांव चराई रिजर्व (वीजीआर) और प्रोफेशनल ग्रेजिंग रिजर्व (पीजीआर) की जमीन है। कार्बी समुदाय का आरोप है कि आदिवासी इलाकों में हिंदी भाषी लोग अवैध रूप से जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्थिति अभी शांत है और किसी तरह की हिंसा की खबर नहीं है। असम पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और भारतीय सेना के जवान संवेदनशील इलाकों में लगातार गश्त कर रहे हैं।
मृतकों का किया गया अंतिम संस्कार
अधिकारियों के मुताबिक, हिंसा में मारे गए दोनों लोगों का अंतिम संस्कार बुधवार रात शांतिपूर्ण तरीके से उनके-अपने रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया। विशेष रूप से दिव्यांग युवक सुरेश डे का शव उनके घर और दुकान से बरामद हुआ, जिसे भीड़ ने आग के हवाले कर दिया था। वहीं, अथिक तिमुंग, जो कार्बी समुदाय से थे, की मौत पुलिस फायरिंग में हुई। सबसे ज्यादा प्रभावित खेरेनी इलाका है, जहां कार्बी समुदाय के अलावा बिहारी, बंगाली और नेपाली समुदाय के लोग भी रहते हैं।
भूख हड़ताल पर कार्बी समुदाय के लोग
गौरतलब है कि कार्बी समुदाय के कुछ लोग पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। वे वीजीआर और पीजीआर की जमीन से कथित अवैध बसावट हटाने की मांग कर रहे थे। सोमवार तड़के पुलिस द्वारा तीन प्रदर्शनकारियों को हटाए जाने के बाद हालात बिगड़ गए। प्रशासन का कहना है कि उन्हें इलाज के लिए ले जाया गया था। मंगलवार को खेरेनी इलाके में हिंसा ने गंभीर रूप ले लिया। पुलिस फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हुई, एक व्यक्ति को जिंदा जला दिया गया और 60 से ज्यादा पुलिसकर्मियों समेत 70 से अधिक लोग घायल हो गए।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि चराई भूमि से कथित अतिक्रमण हटाने की मांग को तुरंत स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थगन आदेश है। हालात को काबू में रखने के लिए भारतीय सेना की एक टुकड़ी तैनात की गई है, जिसने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च भी किया। सेना की एक टुकड़ी में आमतौर पर 60 से 80 जवान होते हैं।

