वेस्ट पाम बीच : करीब दो साल तक युद्ध की छाया में सिमटे रहने के बाद इस बार क्रिसमस की पूर्व संध्या पर बेथलेहम में फिर रौनक लौटी। हजारों लोग मैन्जर स्क्वायर पहुंचे, जहां क्रिसमस ट्री दोबारा लगाया गया। यह वही जगह है, जहां ईसाई मान्यता के अनुसार ईसा मसीह का जन्म हुआ था। गाजा युद्ध के दौरान यहां उत्सव रद्द कर दिए गए थे और मैन्जर स्क्वायर में मलबे और कांटेदार तारों के बीच शिशु यीशु की प्रतीकात्मक झांकी रखी गई थी। इस साल वह दृश्य बदला, हालांकि संघर्ष की यादें अभी भी ताजा हैं।
होली लैंड के शीर्ष कैथोलिक नेता कार्डिनल पियरबातिस्ता पिजाबाला ने यरुशलम से बेथलेहम तक पारंपरिक जुलूस के साथ क्रिसमस समारोह की शुरुआत की। उन्होंने ‘रोशनी से भरे क्रिसमस’ का आह्वान किया और बताया कि वे गाजा के छोटे से ईसाई समुदाय का संदेश भी साथ लाए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम सब मिलकर रोशनी बनने का फैसला करें। बेथलेहम की रोशनी पूरी दुनिया की रोशनी है।’ हालांकि जश्न के बीच हकीकत भी कड़वी है। बेथलेहम की लगभग 80 फीसदी आबादी पर्यटन पर निर्भर है। युद्ध के चलते बेरोजगारी 14 फीसदी से बढ़कर 65 फीसदी तक पहुंच गई। करीब 4,000 लोग रोजगार की तलाश में शहर छोड़ चुके हैं, जिससे ईसाई समुदाय के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ी है।
अंधेरे में उम्मीद बरकरार
स्थानीय टूर गाइड जॉर्जेट जैकमैन ने कहा, ‘आज खुशी का दिन है। यह सामान्य जीवन की वापसी की शुरुआत है।’ युद्ध के दौरान उन्होंने और उनके पति ने फलस्तीनी हस्तशिल्प बेचने की एक वेबसाइट शुरू की, ताकि बेरोजगार लोगों की मदद हो सके। फ्रांस से आई पर्यटक मोना रीवर ने कहा, ‘क्रिसमस का मतलब है, बहुत अंधेरे हालात में भी उम्मीद।’
दुनिया भर में क्रिसमस की धूम
नाजरेथ में परंपरागत परेड लौटी, गाजा के एकमात्र कैथोलिक चर्च में क्रिसमस मास हुआ और सीरिया के दमिश्क के पास एक चर्च में हमले के बाद भी श्रद्धालु जुटे। वेटिकन में करीब 6000 लोग बेसिलिका के अंदर और 5000 बाहर स्क्रीन पर मास देखते नजर आए।

