नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के परिणाम में भाजपा के प्रदर्शन को देख हर कोई हैरान था। हर एग्जिट पोल भाजपा को 300 सीटों के पार दिखा रहा था, लेकिन नतीजों में वह 240 पर ही सिमट गई। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भाजपा के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारणों का जिक्र किया है।
आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ में एक लेख छिपा है, जिसमें कहा गया है कि भाजपा कार्यकर्ता चुनाव के दौरान अति आत्मविश्वास में दिख रहे थे। यही वजह है कि भाजपा का परिणाम बहुत निराशाजनक था। कार्यकर्ता जनता से कट गए थे। वह उनकी ना सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के भरोसे ही बैठे थे।
चुनाव रिजल्ट से सबक लेने की जरूरत
आरएसएस ने कहा कि भाजपा ने जमीन पर ‘स्वयंसेवकोंं’ का बिल्कुल सहयोग नहीं किया था। भाजपा ने काम करने वाले कार्यकर्ताओं का ध्यान नहीं रखा। वह उन कार्यकर्ताओं के भरोसे बैठे रहे, जो ‘सेल्फी’ के जरिए प्रचार कर रहे थे। आरएसएस मेंबर रतन शारदा ने लिखा कि भाजपा को निराशाजनक प्रदर्शन से सबक सीखने की जरूरत हैं।
महाराष्ट्र में भाजपा की राजनीति से कार्यकर्ता आक्रोशित
उन्होंने आगे लिखा कि महाराष्ट्र में भाजपा कार्यकर्ताओं में बहुत ज्यादा आक्रोश था। वह राज्य में भाजपा की राजनीति को पसंद नहीं कर रहे थे। एनसीपी (अजीत गुट) के भाजपा के साथ गठबंधन को पार्टी कार्यकर्ताओं ने नापसंद किया। भाजपा के इन निर्णयों की वजह से पार्टी की साख राज्य में कम होती चली गई।
मतदाताओं तक एजेंडे को ले जाना पार्टी की जिम्मेदारी
रतन शारदा ने कहा कि यह पार्टी की जिम्मेदारी होती है कि वह मतदाताओं तक पहुंचे। उन पार्टी के एजेंडे, साहित्य पहुंचाए। भाजपा का महाराष्ट्र में प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा है, क्यों कि 23 सीटों पर लड़कर वह केवल नौ सीटें ही जीत पाई है।