New Delhi: शुक्रवार को दिल्ली के गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के सिल्वर जुबली समापन समारोह में अतिथि सीएम आतिशी बतौर मुख्य शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत को नंबर वन देश बनाना है तो शिक्षा को पहली प्राथमिकता देनी होगी, जो दिल्ली सरकार दे रही है। मुझे गर्व है कि पिछले 10 साल से हमारी सरकार शिक्षा को अपनी पहली प्राथमिकता बनाई हुई है। पहले दिल्ली के सरकारी स्कूल टीन शेड में चलते थे और छत भी टपकती थी, लेकिन आज सरकारी स्कूल ऐसे बन गए हैं कि वो प्राइवेट स्कूलों को भी मात दे रहे हैं। पिछले सात साल से लगातार दिल्ली सरकार के स्कूल प्राइवेट स्कूलों से अच्छा रिजल्ट ला रहे हैं। देश के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है। हमारी सरकार बनने से पहली 2014 में दिल्ली के विश्वविद्यालयों में मात्र 83,600 छात्र पढ़ते थे और दस साल की इस शिक्षा क्रांति के बाद आज 1.55 लाख छात्र पढ़ रहे हैं।
सीएम आतिशी ने कहा कि आईपी यूनिवर्सिटी की फैकल्टी, उनका रिसर्च और यहां के बच्चे न सिर्फ दिल्ली में बल्कि पूरे इंटरनेशनल फोरम में हमारे देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आज यहां 190 एकेडमिक प्रोग्राम, 40 डिसिप्लिन में चल रहे हैं और आईपी यूनिवर्सिटी के तहत 90 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। यह शायद पूरे देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में से एक है। आज हम दुनिया के किसी भी हिस्से में चले जाएं, वहां हमें कोई न कोई भारतीय बड़े पदों पर, किसी कंपनी के सीईओ या किसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर जरूर मिल जाएंगे। आप कनाडा, यूएस, सिंगापुर के किसी भी बड़े अस्पताल में चले जाएं, वहां तकरीबन सभी विभागों के हेड ऑफ डॉक्टर्स भारतीय होंगे। जब हम भारतीयों को इतना सफल देखते हैं तो मेरे मन में दो विचार आते हैं। पहला तो मुझे हमारे भाइयों-बहनों पर गर्व होता है कि उन्होंने हमारे देश का नाम रोशन किया है। लेकिन वहीं मन में दूसरा विचार भी आता है। मन में थोड़ी सी टीस रह जाती है कि अगर हमारे देश के लोग इतने सफल हैं और इतने आगे बढ़ जाते हैं तो हमारा देश आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहा है?
सीएम आतिशी ने कहा कि मुझे याद है, जब मैं स्कूल में पढ़ती थी तो 9वीं क्लास के दौरान सामाजिक विज्ञान में हमें इतिहास, भूगोल और सिविक्स पढ़ाई जाती थी। उसी साल से हमने अर्थशास्त्र भी पढ़ना शुरू किया था। उस अर्थशास्त्र की किताब के पहले चैप्टर में यह पढ़ाया जाता था कि दुनिया में तीन तरह के देश हैं, विकसित, विकासशील और अविकसित देश। यह करीब 1996-97 की बात होगी। तब हमारी किताब में लिखा था कि भारत एक विकासशील देश है और 2020 तक भारत एक विकसित देश बन जाएगा। लेकिन 2020 आया और चला गया। आज 2024 में भी उन किताबों में यही लिखा है कि भारत एक विकासशील देश है, क्यों? हमारे देश में इतनी नदियां, पहाड़ इत्यादि हैं कि दुनिया में कोई ऐसी चीज नहीं है जो भारत में नहीं मिलती। अगर हमारे लोग भारतीय इतने टैलेंटेड हैं और हमारे पास इतने संसाधन हैं, तो ऐसा क्या हो गया कि हमारा देश पीछे है? जिन देशों को हम विकसित देश कहते हैं, वे वहां तक कैसे पहुंचे?
सीएम आतिशी ने आगे कहा कि हमारे देश को 1947 में आजादी मिली, उसी के आसपास दुनिया के ऐसे बहुत सारे देश थे जो द्वितीय विश्व युद्ध में पूरी तरह से तबाह हो गए। इस युद्ध में जर्मनी पूरी तरह खत्म हो गया। जापान और सिंगापुर तबाह हो गए। लेकिन आज ये सब भारत से बहुत आगे निकल गए हैं, क्यों? ये देश आगे इसलिए निकले क्योंकि इन देशों ने अपने बच्चों की शिक्षा को अपनी सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाया। शिक्षा की वजह से ये देश आगे निकले और आज ये देश दुनिया में सबसे आगे हैं। इन देशों ने तय किया कि हो सकता है कि इन्हें कुछ सड़कें बनानी हों, कुछ फ्लाईओवर बनाने हों, कुछ कंपनियां बनानी हों, इसे पांच साल के बाद बना लेंगे। लेकिन हम सबसे पहली प्राथमिकता अपने बच्चों की पढ़ाई को देंगे। उन्होंने यह निर्णय लिया कि चाहे कोई गरीब से गरीब बच्चा हो या अमीर से अमीर बच्चा हो, हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलेगी और आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। इसी विजन के साथ आज ये देश आगे पहुंचे हैं। इसलिए अगर हम चाहते हैं कि हमारा भारत देश भी इसी तरह आगे निकले, तो हमें भी अपने बच्चों की शिक्षा को इस देश की नंबर वन प्राथमिकता पर रखना होगा।
सीएम आतिशी ने कहा कि पिछले 10 साल से मुझे इस बात पर गर्व है कि दिल्ली की हमारी सरकार ने शिक्षा को अपनी नंबर 1 प्राथमिकता बनाई है। दिल्ली सरकार अपने बजट का 25 प्रतिशत खर्च केवल शिक्षा पर करती है और लगातार 10 साल से इसी तरह खर्च करती आ रही है। 2015 में पहली बार हमारी सरकार बनी थी। मैंने अपनी सारी जिंदगी दिल्ली में बिताई है। लेकिन क्योंकि हमने अपने समाज को दो हिस्सों में बांट रखा है। मैं खुद दिल्ली के एक नामी प्राइवेट स्कूल से पढ़ी हूं, लेकिन 2015 तक मैंने भी कभी सरकारी स्कूलों के अंदर कदम नहीं रखा था। मुझे याद है 2015 में दिल्ली के सरकारी स्कूलों का क्या हाल था। और सच्चाई यह है कि देश भर में आज भी वही हाल है। आप स्कूल के अंदर जाओगे तो आपको सबसे पहले टॉयलेट की बदबू आती थी। दिल्ली के सरकारी स्कूल भी ऐसे ही होते थे। टीन-टप्पर की छत होती थी। बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता था। सर्दी के मौसम में टूटी हुई खिड़कियों से ठंडी हवा आती थी। बच्चों के बैठने के लिए टेबल-कुर्सी नहीं होती थी। पीने के लिए साफ पानी नहीं होता था। साफ टॉयलेट नहीं होते थे।
सीएम आतिशी ने कहा कि पिछली सरकारें सरकारी स्कूल के टीचर्स को मुफ्त की लेबर मानती थीं। पोलियो कैंपेन चलाना हो, आधार कार्ड बनवाना हो या दूसरा कोई भी सरकारी कार्यक्रम हो, तो सबसे पहले सरकारी टीचरों की ड्यूटी लगती थी। टीचर्स को भी बच्चों को पढ़ाने के लिए समय नहीं मिलता था। लेकिन मुझे इस बात पर गर्व है कि पिछले 10 सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो गया है। आज दिल्ली के सरकारी स्कूल, प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ रहे हैं। पिछले सात साल से लगातार दिल्ली सरकार के स्कूल प्राइवेट स्कूलों से अच्छा रिजल्ट ला रहे हैं। मुझे लगता है कि देश के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है।
सीएम आतिशी ने आगे कहा कि इतना ही नहीं, हमारे स्कूलों में जो बच्चे बहुत वंचित और गरीब परिवारों से आ रहे हैं, आज अच्छी शिक्षा की वजह से वो भी आगे बढ़ रहे हैं। इसी साल दिल्ली के सरकारी स्कूलों के दो हजार से ज्यादा बच्चों ने जेईई और नीट की परीक्षा पास की और देश के बड़े-बड़े इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लिया है। मुझे भरोसा है कि हमारे बहुत सारे विद्यार्थी आईपी यूनिवर्सिटी के भी शानदार कोर्सों में दाखिला ले रहे हैं। शिक्षा की यह कहानी सिर्फ स्कूलों तक सीमित नहीं है। हर शैक्षिक संस्थान में भी यह शिक्षा क्रांति जारी है। आईपी यूनिवर्सिटी खुद इसका जीता-जागता उदाहरण है कि किस तरह से बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है, चाहे छात्रों की संख्या में हो, चाहे कैंपस बनने में हो, चाहे नए आधुनिक पाठ्यक्रम शुरू करने में हो।
आतिशी ने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 2014 में हमारी सरकार बनने से पहले दिल्ली के उच्च और तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालयों में उस समय मात्र 83,600 छात्र थे और दस साल की इस शिक्षा क्रांति के बाद आज 1 लाख 55 हजार छात्र दिल्ली सरकार की विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं और शानदार डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। इतना ही नहीं, मुझे इस बात की भी खुशी है कि अब हमारे छात्र सिर्फ बीए, बीकॉम जैसी पारंपरिक डिग्री ही नहीं बल्कि रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ रहे हैं, उद्यमशीलता में बीबीए कर रहे हैं। ये बच्चे हमारे देश की सबसे कठिन समस्याओं का हल करने के लिए तैयार हो रहे हैं। और ये हैं दिल्ली सरकार के स्कूल और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे। मुझे पूरा भरोसा है कि जो बच्चे आज हमारे स्कूल और विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं, यही वो लोग हैं जो हमारे देश को दुनिया में नंबर 1 बनाएंगे। हमारे बच्चे आने वाले कुछ सालों में यह काम करेंगे कि कुछ सालों बाद अर्थशास्त्र की किताब जो हमारे देश के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी उसमें यह नहीं लिखा होगा कि भारत एक विकासशील देश है, बल्कि यह लिखा होगा कि अपनी शानदार शिक्षा व्यवस्था की वजह से भारत एक विकसित और अग्रणी देश बन गया है।
सीएम आतिशी ने कहा कि हमारे शिक्षकों के कंधों पर भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आप लोग केवल शिक्षक या एक कॉलेज के प्रबंधन स्टाफ नहीं हैं, बल्कि आप वो लोग हैं जो हमारी आने वाली पीढ़ी को दिशा दिखा रहे हैं। आप वो लोग हैं जिनकी मेहनत से हमारे देश का भविष्य आकार ले रहा है। इसलिए मुझे उम्मीद है कि आप उसी मेहनत और लगन के साथ हमारे देश के भविष्य को पढ़ाएंगे और इन्हें आगे लेकर जाएंगे।