दिल्ली विधानसभा चुनाव का मतदान खत्म होने के बाद सबकी नजरें परिणाम पर टिकी है। अधिकत्तर एग्जिट पोल में 26 सालों के बाद दिल्ली में भाजपा की वापसी के संकेत दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, इससे पहले दिल्ली की राजनीतिक हलकों में एक नई चर्चा शुरु हो गई है। दरअसल, भाजपा ने दिल्ली चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा। ऐसे में अगर 8 फरवरी को भाजपा दिल्ली में सरकार बनाती है तो मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा। हालांकि, यह कोई सरल प्रक्रिया नहीं रहने वाली है। 26 साल के वनवास के बाद दिल्ली में सत्ता पाने के बाद BJP को हर समीकरण को ध्यान में रखकर सीएम बनाना पड़ेगा। अगर हम राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा को देखें, तो इन राज्यों में भी परिणाम घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री का चयन किया गया। साथ ही इन तमाम राज्यों में राजनीतिक समीकरण साधने के लिए दो-दो उपमुख्यमंत्री भी बनाया गया।
गौरतलब है कि भाजपा ने एक नए दौर की शुरुवात की है, जिसके तहत वो हर राज्य में दो डिप्टी सीएम बनाती है। इसके पीछे जातिय व सामाजिक समीकरण साधने की नीति दिखाई देती है। दिल्ली में भी भाजपा कुछ इसी तर्ज पर सरकार निर्माण कर सकती है। इस दौड़ में आमतौर पर दिल्ली भाजपा के वो तमाम चेहरे सबसे पहले दिखाई देते हैं, जो राजनैतिक रुप में सबसे सक्रिय हैं। इसमें मनोज तिवारी, प्रवेश वर्मा और रमेश बिधूड़ी जैसे दिग्गज का नाम है। हालांकि, शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे जैसे बड़े चेहरों को साइडलाइन करने के बाद इसकी गांरटी नहीं है कि किसी बड़े चेहरे को डिप्टी सीएम या मंत्री बनाया जाए। हालांकि, इन तीनों नेता में किसी दो को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। और इससे इन्हें संतोष भी करना होगा। जैसे राज्सथान में महारानी दिया कुमारी और मध्य प्रदेश में कैलाश विजयवर्गीय को करना पड़ा। क्योंकि इन दोनों नेताओं को मुख्यमंत्री बनाने का कयास लगाए जा रहे थे लेकिन आज वो डिप्टी सीएम और मंत्री पद से खुश हैं।
देशभर में भाजपा करीब दर्जनभर सरकारें चला रही हैं। पिछले कुछ चुनावों का अध्ययन करने पर यह पता चलता है कि भाजपा के प्रति महिला वोटरों का समर्पन बढ़ा है। लेकिन किसी भी भाजपा शासित राज्य में सीएम कोई महिला नहीं है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अगर दिल्ली में भाजपा सरकार बनाती है तो किसी महिला को सीएम बनाया जा सकता है। अभी इस दौर में तीन दिग्गज महिला नेताओं का नाम आगे चल रहा है, जिसमें मिनाक्षी लेखी, बांसुरी स्वराज और स्मृति ईरानी हैं। ये तीनों ही भाजपा से लंबे समय से जुड़ी हैं और कोर कार्यकार्ताओं में शुमार हैं। साथ ही महिला सीएम बनाने से पार्टी के अंदर पंजाबी, पूर्वांचली और जाट-गुर्जर की राजनीति का भी अंत हो जाएगा। इसके अलावा आम आदमी पार्टी की समर्थकों में महिलाओं का रेशियो सबसे अधिक रही है। अगर दिल्ली भाजपा किसी महिला को सीएम बनाती है तो वो सीधा AAP के कोर वोट बैंक पर चोट करेगी।
गौरतलब है कि दिल्ली की राजनीति में पंजाबी, पूर्वांचली और जाट-गुर्जर के वोट बैंक पर सबकी नजर होती है। अगर 8 फरवरी को भाजपा सरकार में आती है तो उनपर इस बात का दवाब हो सकता है कि इन चार समुदाय में से ही कोई सीएम बने। लेकिन महाराष्ट्र और राजस्थान में सीएम चयन की प्रक्रिया को देखे तो भाजपा इस लीग से हटकर चली। जिल राजस्थान में यह कयास लगाए जा रहे थे कि राजपूत और जाट-गुर्जर समाज से आने वाले किसी नेता को सीएम बनाया जा सकता है, वहां ब्राहम्ण सामज से आने वाले भजनलाल को मुख्यमंत्री बना दिया गया। कुछ ऐसा ही मराठी अस्मिता वाले महाराष्ट्र में भी ब्राहम्ण समुदाय से आने वाले देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि, ये भी सही है कि देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं और उनकी पहचान उनकी जाति से बड़ी हो गई है। फिर भी महाराष्ट्र में मराठा और OBC की राजनीति का लंबे समय से दबदबा रहा लेकिन भाजपा ने उसके विपरित निर्णय लिया। माना जा रहा है कि दिल्ली में भी भाजपा कुछ ऐसा ही कर सकती है। लेकिन पंजाबी, पूर्वांचली और जाट-गुर्जर समाज से आने वाले किसी नेता को डिप्टी सीएम जरुर बनाया जा सकता है।