Waqf Act 2025: संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2025को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। अब यह विधेयक कानून बन चुका है। लेकिन इसके साथ ही देशभर में राजनीतिक बहस तेज़ हो गई है। विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं। कई नेताओं ने कहा है कि वे इसे अपने राज्यों में लागू नहीं होने देंगे।
विपक्ष का आक्रामक रुख: तेजस्वी, इरफान और ममता का बयान
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 5अप्रैल 2025को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 126का उल्लंघन करता है। उन्होंने साफ कहा कि अगर बिहार में उनकी सरकार बनी तो यह कानून लागू नहीं होगा। साथ ही इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि यह कानून मुस्लिम समाज पर थोपने जैसा है। उन्होंने कहा कि झारखंड में इसे किसी भी हाल में लागू नहीं होने देंगे। उन्होंने केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम करने का आरोप भी लगाया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस कानून का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र की मौजूदा सरकार सत्ता से हटती है, तो नई सरकार इस कानून को रद्द करेगी और नया संशोधन लाएगी।
क्या कहता है संविधान: केंद्र और राज्य की सीमाएं
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियां हैं – संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची।
– संघ सूची में वे विषय हैं जिन पर सिर्फ केंद्र सरकार कानून बना सकती है।
– राज्य सूची के विषयों पर राज्य सरकार कानून बनाती है।
– समवर्ती सूची में दोनों सरकारों को अधिकार है।
धार्मिक ट्रस्ट और वक्फ जैसे विषय समवर्ती सूची में आते हैं। यदि केंद्र और राज्य के कानून आपस में टकराते हैं, तो केंद्र का कानून प्रभावी होता है। हां, अगर राज्य का कानून राष्ट्रपति की मंजूरी से पास हुआ हो, तो वह मान्य हो सकता है।