DRDO: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) भारत की सैन्य शक्ति को और ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठा रहा है। जिसमे DRDO के वैज्ञानिक एक ऐसे ह्यूमेनॉयड रोबोट पर काम कर रहे हैं, जो युद्ध के दौरान सैनिकों की जान जोखिम मे बिना डाले जटिल कार्यो को करेगा। और खतरनाक क्षेत्रों में उनकी सुरक्षा करेगा।
प्रोटोटाइप और तकनीकी प्रगति
DRDO की रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (Engineers) लैब में पिछले चार वर्षों से इस परियोजन पर काम चल रहा है। लैब के ग्रुप डायरेक्टर (SE). तलोले ने बताया कि रोबोट के ऊपरी और निचले हिस्सों के प्रोटोटाइप तैयार किए जा चुके हैं, जिन्होंने आंतरिक परीक्षणों में कई कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। यह ह्यूमेनॉयड रोबोट जंगल जैसे खतरनाक इलाकों में काम करेगा। रोबोट में तीन मुख्य तत्व शामिल हैं। एक्ट्यूएटर्स, जो मानव मांसपेशियों की तरह गति पैदा करते हैं; सेंसर, जो आसपास के वातावरण से सही समय में डेटा इकठ्ठा करते हैं। और नियंत्रण सिस्टम, जो इस जानकारी को कार्यों में बदलती है।
रोबोट की खास बात
यह ह्यूमेनॉयड रोबोट 24 डिग्री ऑफ फ्रीडम के साथ डिजाइन हुआ है, जिसका प्रत्येक हाथ में 7, ग्रिपर में 4 और सिर में 2 डिग्री शामिल हैं। यह रोबोट दरवाजे खोलने, वाल्व चालू करने, बाधाओं को पार करने और खतरनाक चीजें जैसे माइंस, विस्फोटक और तरल पदार्थों को सुरक्षित रूप से संभालने में सक्षम होगा। इसके अलावा, इसमें (Autonomous Navigation), रीयल-टाइम मैप जनरेशन और सिमुल्टेनियस लोकलाइजेशन एंड मैपिंग (SLAM) जैसी सुविधाएं होंगी, जो इसे सभी जोखिम वाले क्षेत्रों में मुशकिल कार्य को भी आसान बनाएंगी।
चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं
DRDO के वैज्ञानिकों ने इस बात को स्वीकार किया कि इस रोबोट को बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। तलोले ने कहा, “रोबोट को सही तरीके से कार्य करने के लिए संतुलन, हाई स्पीड डेटा प्रोसेसिंग और जमीनी स्तर परपूरा करना में सबसे बड़ी चुनौती है।” डिज़ाइन टीम के प्रमुख वैज्ञानिक किरण अकेला ने बताया कि परियोजना को 2027 तक पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।