International Monetary Fund: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को कर्ज की अगली किस्त देने से पहले 11 नई शर्तें लागू की हैं। इसके साथ ही, भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव को देखते हुए IMF ने चेतावनी दी है कि यह तनाव पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रम को पटरी से धीरे धीरे उतार रहा है। IMF ने पाकिस्तान को सितंबर 2024 में 7 अरब डॉलर के विस्तारित निधि सुविधा (EFF) कार्यक्रम के तहत अब तक 2.1 अरब डॉलर दिया हैं। और हाल ही में 1.02 अरब डॉलर की दूसरी किस्त और 1.4 अरब डॉलर की जलवायु लचीलापन सुविधा (RSF) को मंजूरी दी गई। हालांकि, भारत ने इन कर्जों का विरोध किया, यह चिंता जताते हुए कि पाकिस्तान इन फंड्स का दुरुपयोग आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए कर रहा है।
IMF की 11 नई शर्तें
- जुलाई 2025 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2026 के लिए 17.6 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये के संघीय बजट को जून 2025 तक संसद से पारित करना।
- चारों प्रांतों को जून 2025 तक डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ नए कृषि आयकर कानून लागू करने होंगे।
- पाकिस्तान को शासन संबंधी कमियों को दूर करने के लिए एक गवर्नेंस एक्शन प्लान प्रकाशित करना होगा।
- 2028 से शुरू होने वाली दीर्घकालिक वित्तीय क्षेत्र रणनीति तैयार करनी होगी।
- IMF ने सैन्य खर्चों में वृद्धि को नियंत्रित करने पर जोर दिया है, क्योंकि पाकिस्तान का सैन्य बजट शिक्षा और स्वास्थ्य से कहीं अधिक है।
- अनौपचारिक अर्थव्यवस्था (जो जीडीपी का 35% है) और हवाला चैनलों पर निगरानी रहेगी।
- ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में सब्सिडी कम होगी।
- आतंकवाद पर नकेल: फंड्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए आतंकवाद के वित्तपोषण पर सख्ती। पाकिस्तानी रुपये के अवमूल्यन को रोकने के उपाय।
- सामाजिक कल्याण योजनाओं में सुधार और पारदर्शिता।
IMF की चेतावनी
IMF ने चेतावनी दी है कि भारत के साथ तनाव पाकिस्तान के आर्थिक सुधारों को प्रभावित कर सकता है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई की। इस तनाव के बीच IMF ने 9 मई 2025 को 1 अरब डॉलर की मंजूरी दी, जिसे अमेरिका ने शांति वार्ता की शर्त से जोड़ा। और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने IMF से कर्ज पर पुनर्विचार करने की मांग की, यह दावा करते हुए कि पाकिस्तान इसका इस्तेमाल आतंकी ढांचे को मजबूत करने के लिए करेगा।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज के बोझ तले दबी है, और IMF के 11 शर्तों का पालन करना उसके लिए चुनौतीपूर्ण है। जानकारों का मानना है कि सैन्य खर्च और आतंकवाद के समर्थन की नीति के कारण पाकिस्तान बार-बार कर्ज के जाल में फंसता है।