World of SPY: जासूसी की दुनिया हमेशा से रहस्य और रोमांच से भरी रही है। जेम्स बॉन्ड की काल्पनिक कहानियों से लेकर वास्तविक जासूसों जैसे रवींद्र कौशिक और एली कोहेन तक, यह दुनिया जितनी आकर्षक है। उतनी ही खतरनाक। लेकिन जासूस कौन बनाता है? उनका नेटवर्क कैसे काम करता है? आइए, इन सभी गुप्त दुनिया की सैर करते हैं। और हाल-फिलहाल कि घटनाओं के साथ इसकी पूरी कहानी जानते हैं।
जासूस कि उत्पती
जासूस बनाना कोई साधारण काम नहीं होता है। भारत में रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) और आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) जैसी खुफिया एजेंसियां संभावित जासूसों का चयन करती हैं। ये लोग अक्सर असाधारण बुद्धिमत्ता, नार्मल भाषा कौशल, और देशभक्ति से भरे होते हैं। उदाहरण के लिए, रवींद्र कौशिक, जिन्हें ‘ब्लैक टाइगर’ के नाम से जाना जाता है, उनके थिएटर प्रदर्शन के आधार पर रॉ ने चुना था।
चयन के बाद जासूसों को कठिन प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसमें कोड भाषा, निगरानी, हथियार चलाने, और अलग पहचान बनाने की कला शामिल होती है। आजकल के खबरों के अनुसार, भारतीय खुफिया एजेंसियां अब साइबर जासूसी और डिजिटल निगरानी पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। क्योंकि पेगासस जैसे सॉफ्टवेयर ने जासूसी के तौर-तरीकों को बदल दिया है।
स्पाई नेटवर्क की जटिलता
जासूस अकेले काम नहीं करते हैं। उनका नेटवर्क एक जटिल तंत्र की तरह काम करता है। इसमें हैंडलर, मुखबिर, और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल होते हैं। नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य सूचनाओं को गुप्त रूप से जमा करना और उसे सुरक्षित रूप से अपनी एजेंसी तक पहुंचाना होता है। जैसे हाल ही में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के मामले ने जासूसी नेटवर्क की जटिलता को उजागर किया गया है। उन पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से जुड़े और गुप्त जानकारियों को साझा करने के आरोप में अरेस्ट किया गया है।
जासूसी की दुनिया
जासूसी की दुनिया में खतरा हर कदम पर होता है। जासूसों को नकली पहचान के साथ दुश्मन देश में रहना पड़ता है, जहां पकड़े जाने का मतलब मौत या यातना हो सकता है। नीरा आर्या, भारत की पहली महिला जासूस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बचाने के लिए अपने पति की हत्या कर दी और काले पानी की सजा भुगती। उनकी कहानी अब एक बायोपिक के रूप में सामने आ रही है।