Operation Sindoor: भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत सीमापार आतंकवाद के खिलाफ अपनी कठोर नीति को और मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 26मई को नई दिल्ली में संसदीय सलाहकार समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने ऑपरेशन सिंदूर के परिणामों, सीमापार आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति और भविष्य के कदमों पर विस्तार से चर्चा की। सूत्रो की मानें तो इस बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिसरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सांसदों को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और इसके वैश्विक प्रभावों के बारे में जानकारी दी।
बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा
26मई को आयोजित संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सांसदों को ऑपरेशन सिंदूर और इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चार दिवसीय सैन्य संघर्ष के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस बैठक में कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की स्थायी समिति के सदस्य शामिल थे। इन सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला, दीपेंद्र हुड्डा, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी, और बीजेपी की अपराजिता सारंगी जैसे नेताओं का नाम शामिल हैं।
इस बैठक में सरकार ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की नई रणनीति का हिस्सा है। जिसमें आतंकवाद के खिलाफ पहले हमला करने का अधिकार सुरक्षित है। विदेश सचिव मिसरी ने बताया कि पहलगाम हमले की जांच में आतंकियों और पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी के बीच के सांठगांठ का स्पष्ट सबूत मिला। समिति ने सरकार से पूछा कि क्या सिंधु जल समझौते को स्थगित रखने का फैसला स्थायी है या अस्थायी। इस पर सरकार ने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक समझौता निलंबित रहेगा। इसके अलावा सरकार ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 07सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को 32देशों और यूरोपीय संघ के मुख्यालय में भेजा गया है। ताकि पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर किया जाए।
सरकार की भविष्य की रणनीति
1. आतंकवाद के खिलाफ सख्ती: भारत अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और जरूरत पड़ने पर सीमापार आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले जारी रखेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर एक चल रहा अभियान है। अगर पाकिस्तान उकसावे की कार्रवाई करता है, तो भारत जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा।”
2. कूटनीतिक दबाव: भारत वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग करने की रणनीति पर काम कर रहा है। प्रतिनिधिमंडल UNSC और अन्य देशों में पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर करेंगे, विशेष रूप से पहलगाम हमले के संदर्भ में।