Rajasthan News: राजस्थान में उच्च शिक्षा का ढर्रा खराब है। सरकारी यूनिवर्सिटीज को आवश्यक सुविधाओं की कमी के चलते यूजीसी की नैक ग्रेडिंग नहीं दी गई। पिछले दिनों विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) नैक अधिस्वीकरण और ग्रेडिंग के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों के निरीक्षण कराए थे। इन निरीक्षणों में प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों में से सिर्फ पांच को ही नैक ग्रेडिंग हासिल हो पाई। प्रदेश की 10 सरकारी यूनिवर्सिटीज में से चार को नैक ग्रेडिंग इसलिए नहीं मिली, क्योंकि वहां शिक्षकों की कमी और आवश्यक सुविधाओं का अभाव था। वहीं, दो यूनिवर्सिटीज नैक के लिए निर्धारित न्यूनतम 6 वर्ष की अवधि पूरी नहीं कर पाई और चार यूनिवर्सिटीज ने ग्रेडिंग के लिए अब प्रक्रिया शुरू की है। यूजीसी की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में चार यूनिवर्सिटीज तो ऐसी हैं, जो स्थापित कर दी गई, लेकिन इसमें स्थाई शिक्षकों की तैनाती ही नहीं की गई और न ही इसमें आधार भूत सुविधाएं दी गई हैं।
नैक अधिस्वीकरण और ग्रेडिंग किसी भी विश्वविद्यालय में शिक्षा के स्तर का सबसे बड़ा और विश्वसनीय पैमाना माना जाता है, क्योंकि यह स्वयं विश्वविद्यालय अनुदान आयेाग द्वारा दी जाती है, जो देश में विश्वविद्यालयों की सर्वोच्च नियामक संस्था है। इस अधिस्वीकरण और ग्रेडिंग के लिए विश्वविद्यालय को स्थाई शिक्षकों की उपलब्धता, रिसर्च की स्थिति, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालय की स्थिति तथा अन्य आधारभूत सुविधाओं की गहन समीक्षा की जाती है और इसके आधार पर इन्हें ग्रेडिंग दी जाती है। यह ग्रेडिंग विश्वविद्यालय में शिक्षा के स्तर और गुणवत्ता का पैमाना बनती है, जिससे विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अनुदान प्राप्त करने और अन्य संस्थाओं से सहायता प्राप्त करने में मदद मिलती है। राजस्थान में अब निजी विश्वविद्यालय भी काफी संख्या में हो गए हैं, ऐसे में छात्र भी अब नैक की ग्रेडिंग देखकर विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेते हैं। राज्यपाल ने दिए थे निर्देश सभी सरकारी विश्वविद्यालयों की नैक ग्रेडिंग के लिए पिछले वर्ष राज्यपाल जो विश्वविद्यालयो के कुलाधिपति भी होते हैं, उन्होंने निर्देश दिए थे। इसके लिए चार कुलपतियों को मैंटोर बनाया गया था और प्रत्येक को दो-दो विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी दी गई थी, ताकि ये विश्वविद्यालय ग्रेडिंग की प्रक्रिया पूरी कर सकें।
इन पांच यूनिवर्सिटीज को मिली नैक ग्रेडिंग
यूजीसी की ओर से किए गए निरीक्षणें के बाद प्रदेश पांच विश्वविद्यालयों को ही ग्रेड मिल पाई। इनमें निम्र शामिल हैं।
- राजस्थान विश्वविद्यालय – ए प्लस
- जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर – बी प्लस प्लस
- सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर – ए
- वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय, कोटा – ए
- महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर – सी
इनके पास ग्रेड नहीं, लेकिन प्रयास शुरू
एमडीएस विश्वविद्यालय अजमेर- नैक अधिस्वीकरण के तीसरे चक्र में जा रहा है। कोटा विश्वविद्यालय ने नैक अधिस्वीकरण के दूसरे चक्र के लिए आवेदन किया है। नेशनल लॉ यूनिविर्सिटी, जोधपुर ने अधिस्वीकरण के लिए प्रक्रिया शुरू की, 2026 में आवेदन करेगा। वहीं, हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय जयपुर अधिस्वीकरण के लिए तैयारी शुरू कर रहा है।
इन्हें करना पड़ सकता है लंबा इंतजार
छह विश्वविद्यालय ऐसे हैं, जिन्हें नैक ग्रेडिंग के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है। इनमें स्थाई शिक्षक और अन्य आधारभूत सुविधाओं का अभाव है। राज्य सरकार को इनमें ये सुविधाएं जुटानी पडेंगी और इसके बाद ही ये विश्वविद्यालय नैक अधिस्वीकरण और ग्रेडिंग हासिल कर पाएंगे। इनमें दो ऐसे भी हैं, जो नैक ग्रेडिंग की पात्रता की छह वर्ष की अवधि पूरी नहीं कर पाए हैं… महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय भरतपुर, पंडित दीनदयाल शेखावटी विश्वविद्यालय, सीकर और गोविंद गुरु आदिवासी विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा और राजर्षि भृतहरि मत्स्य विश्विद्यालय, अलवर और आंबेडकर लॉ यूनिवर्सिटी, जयपुर और एमबीएम विश्वविद्यालय, जोधपुर।