नई दिल्ली। देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का विलय कर अब एक नई संस्था विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान (वीबीएसए) बनाई जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इससे जुड़ा विधेयक लोकसभा में पेश किया। यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत तैयार किया गया है और इसके लागू होते ही देश की उच्च शिक्षा का पूरा ढांचा बदल जाएगा।
सरकार का कहना है कि अभी उच्च शिक्षा में अलग-अलग नियामक संस्थाएं होने से नियमों में दोहराव, देरी और भ्रम की स्थिति बनती है। वीबीएसए के गठन से यह समस्या खत्म होगी। अब विश्वविद्यालय, तकनीकी संस्थान और शिक्षक शिक्षा संस्थान एक ही ढांचे के तहत संचालित होंगे। इससे फैसले तेजी से होंगे, पारदर्शिता बढ़ेगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। खास बात यह है कि पहली बार आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को भी इस दायरे में लाया गया है, जो अब तक यूजीसी या एआईसीटीई के अधीन नहीं थे।
विधेयक के तहत विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान के भीतर तीन स्वतंत्र स्तंभ बनाए जाएंगे। पहला होगा विकसित भारत शिक्षा विनियम परिषद, जो नियामक की भूमिका निभाएगी। दूसरा विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद, जो प्रत्यायन यानी मान्यता से जुड़े काम देखेगी। तीसरा विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद, जो शैक्षणिक मानकों को तय करेगी। इन तीनों परिषदों के आपसी समन्वय की जिम्मेदारी वीबीएसए पर होगी, ताकि विनियमन, गुणवत्ता और मानक एक साथ मजबूत हो सकें।
विधेयक के प्रावधान सभी प्रकार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर समान रूप से लागू होंगे। इसमें केंद्रीय, राज्य, निजी विश्वविद्यालयों के साथ ओपन और डिस्टेंस लर्निंग, ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा संस्थान भी शामिल हैं। अभी तक सामान्य विश्वविद्यालयों का नियमन यूजीसी करता था, तकनीकी संस्थानों के लिए एआईसीटीई और शिक्षक शिक्षा के लिए एनसीटीई जिम्मेदार थी। अब यह पूरा काम एक ही संस्था के तहत होगा, जिससे शिक्षा व्यवस्था ज्यादा सरल और प्रभावी बनेगी।
जुर्माने और सख्त प्रावधान
वीबीएसए के तहत नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान रखा गया है। नियामक परिषद को अधिनियम या नियमों के उल्लंघन पर 10 लाख से 75 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का अधिकार होगा। बिना अनुमति के उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित करने पर दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। इसके अलावा नियामक परिषद किसी मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थान को निर्धारित प्रक्रिया के तहत डिग्री देने के लिए अधिकृत भी कर सकेगी।
अध्यक्षों की नियुक्ति और शक्तियां
वीबीएसए और उसकी तीनों परिषदों के अध्यक्षों का चयन राष्ट्रपति करेंगे। अध्यक्ष की नियुक्ति तीन साल के लिए होगी, जिसे बढ़ाकर पांच साल तक किया जा सकता है। हर परिषद में 14 सदस्य होंगे। अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार की चयन समिति की सिफारिश पर होगी। कर्तव्य में लापरवाही बरतने पर राष्ट्रपति के पास अध्यक्ष और सदस्यों को हटाने का अधिकार भी रहेगा। जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार आयोग या परिषदों को भंग भी कर सकेगी।
शिक्षा व्यवस्था पर क्या होगा असर
सरकार का दावा है कि विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान से उच्च शिक्षा प्रणाली ज्यादा मजबूत, जवाबदेह और छात्र-केंद्रित बनेगी। एक ही नियामक ढांचा होने से संस्थानों को स्पष्ट दिशा मिलेगी। गुणवत्ता पर फोकस बढ़ेगा और शिक्षा को रोजगार से जोड़ने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर यह कदम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर शिक्षा व्यवस्था को नई रफ्तार देने वाला माना जा रहा है।

