Hindenburg Shut Down: साल 2024 में हिंडनबर्ग और गौतम अडाणी के बीच जमकर द्वंद देखने को मिला था। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से ना सिर्फ गौतम अडानी को भारी आर्थिक नुकासन हुआ था बल्कि उनके कंपनियों के प्रति लोगों का विश्वास भी कम हुआ था। इस बीच गुरुवार को शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन ने बड़ी घोषणा की है। एंडरसन ने हिंडनबर्ग कंपनी को बंद करने का ऐलान किया है। हिंडनबर्ग रिसर्च के आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक नोट साझा करके कंपनी के बंद होने की जानकारी सामने आई है।
क्यों लिया कंपनी को बंद करने का निर्णय
हिंडनबर्ग पहली बार तब सुर्खियों में आई थी जब गौतम अडानी और सेबी चीफ माधुरी बुच के खिलाफ इस कंपनी ने कथित रुप में कई गंभीर आरोप लगाया था। इन आरोपों के कारण भारत की राजनीतिक हलकों में जमकर हंगामा हुई थी। नाथन एंडरसन ने कंपनी बंद होने के पीछे व्यक्तिगत कारण बताया है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया है कि उसके पीछे कोई खास कारण नहीं है और ना ही कोई खतरा है। हिंडनबर्ग के द्वारा शेयर किए नोट में फाउंडर ने लिखा, “मैंने पिछले साल के अंत में ही अपने परिवार, दोस्तों और हमारी टीम के साथ ये बात शेयर की थी कि मैं हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का निर्णय ले रहा हूं। हमने जो सोचा था उसे पूरा करने के बाद इसे खत्म करना था। आज आखिरी मामलों को नियामकों के साथ शेयर करने के बाद वो दिन आ गया है।”
क्या काम करती थी कंपनी?
हिंडनबर्ग का नाम सुनते ही पहला शब्द जो दिमाग में आता है “शॉर्ट सेलिंग”। जिसके कारण हिंडनबर्ग ने जमकर मुनाफा कमाया है। आसान भाषा में समझें, तो अगर किसी कंपनी के शेयर को शॉर्ट सेलर इस उम्मीद से खरीदता है कि भविष्य में 200 रुपये का स्टॉक गिरकर 100 रुपये पर आ जाएगा। इसी उम्मीद से वो पहले उस कंपनी के शेयर को उधार पर लेता है। फिर वो उस शेयर को किसी अन्य निवशकों को 200 रुपये के भाव पर बेच देते हैं। वहीं, जब उम्मीद के मुताबिक, कंपनी का शेयर गिरकर 100 रुपये पर आ जाता है तो उन्हीं निवेशकों से 200 रुपये में बेचे शेयर को शॉर्ट सेलर 100 रुपये वापस खरीद लेता है। गिरावट के समय वो उसी शेयर को 100 रुपये में खरीदता है, जिसे निवेशकों को 200 रुपए में बेचा था। इसके बाद शॉर्ट सेलर उन शेयरों को 100 रुपये के भाव पर उन्हें वापस कर देते हैं, जिनसे उन्होंने उधार लिया था। ऐसे में शॉर्ट सेलर को आसानी से 100 रुपए का भायदा हो जाता है।