वॉशिंगटन। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी जेम्स लॉलर- जिन्हें एजेंसी में ‘मैड डॉग’ कहा जाता था, ने पहली बार विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान की वैश्विक तस्करी नेटवर्क को तोड़ा और क्यों उन्हें ‘मौत का सौदागर’ कहा।
लॉलर के अनुसार, अमेरिका लंबे समय तक यह समझता रहा कि एक्यू खान सिर्फ पाकिस्तान के लिए तकनीक जुटा रहे हैं। लेकिन धीरे-धीरे सीआईए को सबूत मिले कि वो कई देशों को गुप्त रूप से परमाणु तकनीक बेच रहे थे। लॉलर ने खुलासा किया- ‘एक्यू खान की तनख्वाह पर कुछ पाकिस्तानी जनरल और नेता थे।’ हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह पाकिस्तान की आधिकारिक नीति नहीं थी, बल्कि कुछ व्यक्तियों की मिलीभगत थी।
लॉलर ने बताया कि उन्होंने पुरानी सोवियत ‘ट्रस्ट ऑपरेशन’ से प्रेरित होकर ऐसे फर्जी विदेशी कारोबार खड़े किए, जो बाहर से परमाणु तकनीक बेचने वाले लगते थे। इन कंपनियों के जरिये वे उन देशों को खराब या छेड़छाड़ की हुई मशीनें भेजते थे जो परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ‘प्रसार रोकने के लिए हमें खुद एक ‘प्रोलिफरेटर’ बनना पड़ा… हमारी मशीनें जाकर टूट जाती थीं, और उनका प्रोजेक्ट रुक जाता था।’
लीबिया और ईरान: दुनिया बदलने वाले ऑपरेशन
9/11 के बाद जब लीबिया पर शक गहराया, सीआईए ने ‘बीबीसी चाइना’ नाम के कार्गो जहाज को रोककर उसमें छुपे लाखों परमाणु पुर्जे बरामद किए। लॉलर ने बताया कि, ‘जब हमने गद्दाफी सरकार को वे कंटेनर दिखाए, कमरे में ऐसी खामोशी छा गई कि पिन गिरने की आवाज सुनाई देती।’ बाद में लीबिया ने शांतिपूर्ण तरीके से अपना परमाणु कार्यक्रम खत्म किया। ईरान के मामले में भी एक्यू खान की तकनीक, पी1 और पी2 सेंट्रीफ्यूज, ने बड़ा रोल निभाया। लॉलर चेतावनी देते हैं कि अगर ईरान परमाणु हथियार बना लेता है, तो मध्यपूर्व में ‘न्यूक्लियर महामारी’ फैल सकती है, और कई देश हथियार बनाने दौड़ पड़ेंगे।
अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ नरमी क्यों बरती?
लॉलर का मानना हैं कि अमेरिकी सरकार ने पाकिस्तान के साथ सख्ती से बचते हुए कई बार आंखें मूंद लीं, क्योंकि अफगानिस्तान में युद्ध के समय इस्लामाबाद अमेरिका का महत्वपूर्ण साझेदार था। लेकिन वे कहते हैं कि इसके ‘लंबे समय तक चलने वाले परिणाम’ दुनिया ने भुगते।
सीआईए को डर था कि कहीं एक्यू खान अल-कायदा को कोई सामग्री न दे दे। मुखिया जॉर्ज टेनेट ने खुद जनरल परवेज मुशर्रफ को सबूत दिखाकर एक्यू खान की गतिविधियां रोकने को कहा।मैड डॉग बनने की कहानी
इस पर हंसते हुए जेम्स सी लॉलर ने बताया कि फ्रांस में एक सुबह दौड़ते समय एक जर्मन शेफर्ड कुत्ते ने उन पर हमला कर दिया। बाद में पता चला कि कुत्ता रेबीज से पीड़ित था। इस दौरान उन्होंने मजाक में बताया किया ‘मैंने उन लोगों की लिस्ट बना ली थी जिन्हें मैं काटने वाला था, अगर मुझे रेबीज हो गया।’ तभी से एजेंसी में उनका नाम ‘मैड डॉग’ पड़ गया। 35 साल सीआईए में बिताने के बाद लॉलर कहते हैं कि उन्हें कोई पछतावा नहीं- उनका मिशन स्पष्ट था, दुनिया को परमाणु हथियारों के साए से बचाना। आज वे अपने अनुभवों पर उपन्यास लिखते हैं, लेकिन असली कहानी, जैसा कि वे कहते हैं, ‘परछाइयों में अब भी चल रही है।’

