(सुशील देव)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार 2025 समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि समावेशन, सम्मान और समान अवसर ही सच्ची प्रगति के आधार हैं। अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर विज्ञान भवन में उन्होंने कहा कि हर नागरिक—विशेषकर दिव्यांगजन—के लिए न्यायपूर्ण और सक्षम समाज बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने 32 पुरस्कार विजेताओं के साहस और उपलब्धियों की सराहना करते हुए उन्हें गरिमा, समानता और समावेशन के प्रतीक बताया। उन्होंने दिव्यांगजन अधिकार कानून, 2016 के प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि देश अब अधिकार आधारित व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, जिसमें पहुंच, सुरक्षा और प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी जा रही है। राष्ट्रपति भवन में दिव्यांगजन के लिए शुरू की गई पहलों और पर्पल फेस्ट का भी जिक्र किया गया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार दिव्यांगजन को देश की अमूल्य मानव संपदा मानती है। उन्होंने यूडीआईडी, सुगम्य भारत अभियान और एडीआईपी योजना के तहत करीब 33 लाख लाभार्थियों को सहायता वितरण जैसी उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ की भावना में दिव्यांगजन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव श्रीमती वी. विद्यावती ने बताया कि इस वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए 2,423 आवेदन प्राप्त हुए, जो बढ़ती जागरूकता का संकेत है। उन्होंने कहा कि सरकार सुगम्य ढांचे, प्रारंभिक हस्तक्षेप सेवाओं और तकनीक आधारित सुधारों के माध्यम से बाधा-रहित भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभी विजेताओं को प्रेरणा स्रोत बताते हुए बधाई दी।

