नई दिल्ली। संसद में वंदे मातरम को लेकर चल रही तीखी बहस के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भजपा को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया। कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने सवाल किया कि अगर भजपा नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर और राजा राम मोहन राय जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों और विचारकों की सराहना नहीं करती, तो आखिर करती किसकी है?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में हुए भगवद्गीता पाठ कार्यक्रम में न जाने के फैसले पर सफाई देते हुए कहा कि वह इसलिए नहीं गईं क्योंकि यह कार्यक्रम भाजपा से जुड़ा हुआ था। संतनन संस्कृति संसद की ओर से रविवार को आयोजित इस कार्यक्रम में लाखों लोग पहुंचे थे, जिसे 2026 विधानसभा चुनाव से पहले हिंदू पहचान के बड़े प्रदर्शन के तौर पर देखा गया।
एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा अगर कार्यक्रम निष्पक्ष होता, तो मैं जरूर जाती। मैं एक राजनीतिक दल से जुड़ी हूं और एक विचारधारा का पालन करती हूं। मैं हर धर्म और हर समुदाय का सम्मान करती हूं। लेकिन जिस कार्यक्रम से भाजपा सीधे जुड़ी हो, उसमें मैं कैसे जा सकती हूं? उन्होंने कहा मैं ऐसे आयोजनों में शामिल नहीं होती जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस का अपमान होता हो या महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन न किया जाता हो। मेरे माता-पिता ने मुझे यह शिक्षा नहीं दी है। जो लोग बंगाल का अपमान करते हैं, बंगला-बिरोधी हैं, मैं उनके साथ नहीं हूं।
लोकसभा में वंदे मातरम पर चल रही बहस के दौरान कांग्रेस उपनेता गौरव गोगोई ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन पीएम मोदी हर चर्चा में नेहरू और कांग्रेस का नाम लेते रहते हैं। गोगोई ने डेटा पढ़ते हुए कहा कि मोदी अपने भाषणों में नेहरू का नाम कई बार दोहराते हैं, चाहे 75वें संविधान दिवस की चर्चा हो या राष्ट्रपति के अभिभाषण नेहरू जी का नाम बार-बार लिया जाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश की असली समस्याओं सुरक्षा, आतंकी घटनाओं और प्रदूषण पर सरकार चुप है।
संसद की कार्यवाही के छठे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश को ऊर्जा और साहस दिया। उन्होंने इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत की आधुनिक अभिव्यक्ति बताया। पीएम मोदी बोले वंदे मातरम सिर्फ राजनीतिक स्वतंत्रता का नारा नहीं था। यह हमारी संस्कृति, हमारी मातृभूमि के प्रति भाव का आधुनिक स्वरूप है। पीएम ने 1905 में बंगाल विभाजन का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेजों की ‘डिवाइड एंड रूल’ नीति के सामने भी वंदे मातरम अडिग खड़ा रहा।

